सोमवार, 16 फ़रवरी 2009

ब्लॉग लिखने के कुछ नियम


ये ब्लॉग न तो दुनिया को कोई संदेश देने के लिए है और न ही अपनी लेखनी की उदात्तता दर्शाने के लिए बल्कि इसका एक सहज सा उद्देश्य है - मेरे द्वारा हिन्दी भाषा का प्रयोग। तो किस विषय पर लिखा जाय यह तय करना थोड़ा कठिन है। उचित यही होगा की कुछ नियम बना लिए जाएँ जिससे की लिखना बरकरार रहे। अभी जो नियम सोच पायी हूँ, वे हैं:
१) हर पोस्ट में कम से कम दस वाक्य होने चाहिए।

२) पिछली पोस्ट में लिखे गए किसी शब्द या विचार को अगली पोस्ट का विषय बनाओ। उदाहरण के लिए अपनी सबसे पहली पोस्ट में मैंने कहा की कुछ न करने से थोड़ा ही करना अच्छा है और फिर अगली पोस्ट में Slumdog Millionaire की चर्चा की जिसकी सब तो नही लेकिन कुछ बातें अच्छी लगी। इसी प्रकार अब अगली पोस्ट में Slumdog वाली पोस्ट में से कोई विचार उठाना है। यह कुछ-कुछ अन्ताक्षरी के खेल जैसा है; बस आखरी अक्षर से शुरुआत करने की आवश्यकता नही है।
३) हर नई पोस्ट में पिछली पोस्टों से जो नए शब्द सीखने को मिले, उनका प्रयोग करने की चेष्टा अवश्य करनी है।
४) जबरन कठिन शब्द नही घुसाने कि अगले दिन स्वयं को ही मतलब समझ न आए!
५) ज्यादा अच्छा करने कीकोशिश में सोचने में वक्त बरबाद नही करना।

14 comments:

Arvind Mishra 16/2/09 20:14  

यह नियम आपने आपने लिए बनाए हैं -इसलिए थोडा राहत भरे हैं -एक पोस्ट कम से कम 15 वाक्य के हों ! और अभी तो उदात्तता /उत्कृष्टता की बात ही कहाँ है अभी तो आप अपनी संतुष्टि ( स्वान्तः सुखाय -रेडियो का लोगो वाक्य याद है बहुजन सुखाय बहुजन हिताय उसके ठीक उलट ! ) के लिए यह कर रही हैं .
आत्मोपयोग (अपने उपयोग के लिए ) के लिए आपके शेष नियम अनुमोदित (अप्रूव्ड) ! हाँ कठिन शब्द तब तक ही होते जब तक आप उनका मतलब हृदयंगम ( taking by heart ) नही करते .वैसे आम लोगों से संवाद ( कम्युनिकेशन ) में कठिन शब्द नहीं आने चाहिए मगर विद्वानों के बीच ये भी चलते हैं और ये जो रीमा नाम की चिट्ठाकार (ब्लॉगर ) हैं ना वे एक विदुषी हैं ! तो कठिन /क्लिष्ट शब्दों से कभी कभार पाला पड़ जाय तो उसे समझ ही लीजिये ! दो चार बार प्रयोग /उपयोग में आयेंगे तो याद हो जायंगे .क्यों ?

Supriya 16/2/09 20:55  
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Supriya 16/2/09 21:06  

Tips for writing!! Gr8. I'm sure many film makers in our country employ the same strategy.

Udan Tashtari 19/2/09 05:02  

हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.

Himanshu Pandey 19/2/09 05:50  

आपका स्वागत है इस चिट्ठाजगत में. अरविन्द जी की बातें गौर फरमाई जांय तो बेहतर.

zeashan haider zaidi 19/2/09 08:54  

मेरा भी यही विचार है कि सरल शब्दों में गूढ़ बात कह दी जाए. हाँ मजबूरी में कठिन शब्द लेने ही पड़ते हैं.

अभिषेक मिश्र 19/2/09 11:34  

स्वागत ब्लॉग परिवार में.

Suyash Suprabh 19/2/09 16:44  

रीमा जी, हिंदी के प्रति आपका अनुराग प्रंशसनीय है। पिछले सात वर्षों से स्वतंत्र अनुवादक के रूप में कार्य करते हुए मैंने यह महसूस किया है कि हिंदी भाषी प्राय: अपनी भाषा की उपेक्षा करते हैं।

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) 20/2/09 00:01  

hmmmmmmmmmmmm...............main khud bhi aapke blog ko samajhne kee cheshtaa kar rahaa hun...............!!

Abhi 24/2/09 13:00  

Bahut achha,
Kabhi yahan bhi aayen...
http://jabhi.blogspot.com

इलाहाबादी रचना साहित्य सम्मेलन 22/5/16 18:26  

अति सुंदर...जयचन्द प्रजापति कक्कू इलाहाबाद

Unknown 24/7/18 21:06  

Kya blog me warg paheli dal sakte hain.

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